डॉ. रत्नलाल शर्मा बाल साहित्य के प्रति गहरी निष्ठा रखते थे। उन्होंने बच्चों के लिए सुंदर कहानियां लिखीं। 'समकालीन बाल साहित्य की दिशा' आलोचना ग्रन्थ लिखा। तत्कालीन समय मे बाल साहित्य पर सबसे बड़ी राशि का निजी पुरस्कार 'रत्न शर्मा स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार' उनकी ही देन थी। बच्चों के लिए हिमांक रत्न पत्रिका भी निकाली थी।प्रस्तुत है उनके विषय में 'बाल साहित्य समीक्षा' में जनवरी, 2002 में प्रकाशित आलेख
मैंने 'किशोरों की श्रेष्ठ कहानियाँ' संकलन में उनकी कहानी को सादर सम्मिलित किया था। अपनी पुस्तक बाल साहित्य के प्रतिमान में भी उनकी ससम्मान चर्चा की है।
मैंने 'किशोरों की श्रेष्ठ कहानियाँ' संकलन में उनकी कहानी को सादर सम्मिलित किया था। अपनी पुस्तक बाल साहित्य के प्रतिमान में भी उनकी ससम्मान चर्चा की है।
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